Thursday, September 10, 2009

एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी (बाइसम कड़ी)

डॉक्टर प्रसाद जाँच कयलाक बाद कहलाह एहि बेर तs WBC केर काज नहीं छैक मुदा दोसर बेर परि सकैत छैक। एक बरखक दवाई आ डॉक्टर बी. एन. झा केर नाम सs सबटा रिपोर्ट बना कs देलाह आ फेर एक साल बाद आबय लेल कहलाह । वेल्लोर आबय समय एकर एको रत्ती भान नहि छल जे एतेक गंभीर बीमारी भs सकैत छैन्ह। जाहि दिन डॉक्टर कुरियन बीमारी के विषय में बतेलाह ताहि केर बाद सs हमर जेना माथ सुन्न भs गेल छल । ई बुझय में नहि आबय जे हम की करी। नहि हम बिमारी के विषय में हिनका सs गप्प कs सकैत छलहुँ आ नहि हमरा में अतेक हिम्मत छल जे हम किनको आओर सs बिमारी के विषय में गप्प करितहुं। बच्चा सब तs बहुत छोट छलथि ।


जमशेदपुर पहुँचलहुँ तs लोकक एनाई गेनाइ शुरू भs गेलैक मुदा हमरा एको रत्ती नीक नहि लागय, की कहिये लोक सब सs से नहि बुझय में आबय आ नय हम ओहि समय हुनका लग रहि जे किछु कहब या कि सुनब । लल्लन जी अपनहि जे कहबाक के रहैन्ह कहथि । ओहो कि कहितथि, कहि दैत छलाह जे सब ठीक भs जेतैक दबाई देने छथि डॉक्टर । भीतर में हमरा की होइत छल ई तs हम वर्णन नहि कs सकैत छी मुदा ऊपर सs अवश्य देखेबाक कोशिस करियैक जे सब ठीक छैक । बाबुजी के सेहो पूरा गप्प नहि बुझल छलैन्ह ।


माँ बाबुजी चलि गेलाह आ फेर हम ई आ दुनु बच्चा रहि गेलहुँ । एक एक कs परिवारक सब कियो हिनका देखय लेल अयलाह, ओहि में मात्र बिनोदजी (हमर बहिनक पति ) जे की स्वयं डॉक्टर छथि, केर छोरि आओर किनको बीमारी के विषय में नहि बुझल भेलैंह। वेल्लोर सs आबि ई तुरन्त ऑफिस जाय लगलाह संगहि दवाई सेहो चलय छलैन्ह ।


बीमारी केर ओहि समय केर वर्णन केनाइ हमरा लेल बड कठिन अछि । हमरो बुझल आ हिनको बुझल छलैन्ह जे बीमारी खतरनाक छैक आ डॉक्टर केर हिसाबे १५ साल सँ बेसी आदमी एहि बिमारी में नहि जीवय छैक तथापि हम दुनु गोटे एहि सन्दर्भ में बात केनाई तs दूर कहियो ई नहि बूझय देव चाहिए जे हम एहि सs चिंतित छी । सच पूछू तs हमर तs मोन कहियो नहि मानय जे हिनका एहेन बिमारी छैन्ह । सब दिन मोन में होय जे एतेक नीक लोग आ शंकर जी केर भक्त के ऐना कहियो नहि भs सकैत छैक, ठीक भs जेतैन्ह । हम अपना भरि तs सदिखन हुनकर ध्यान राखियैन्ह आ कोशिस राखी जे कोनो बात सs ई नहि बुझय में आबैन्ह कि हम हिनकर बिमारी सs चिंतित छी। नहि जानि कियैक मुदा हमरा सब दिन हिनकर काज करय में नीक लागैत छल आ हम हिनकर सब काज अपनहि करैत छलियैक । बीमार भेला पर तs स्वाभाविक छलैक काज बेसी होइत छलैक मुदा ओ हम अपनहि करैत छलियैक।


एहि बीच में बिनोद जी के पता चललैन्ह जे बनारस कोनो होमियोपेथिक डॉक्टर छैक जे एहि तरहक रोगक इलाज करैत छैक तs ओ ओहि ठाम जा ओकरा ओतहि सs दवाई लs आनलथिन्ह, जे हर तीन घंटा पर देबय के छलैक । घर पर देलाक बाद हम ऑफिस जयबाक समय संग दs दियैन्ह। राति में से छोरबाक नहि छलैक , हम घडी में अलार्म लगा ली आ हर तीन घंटा पर उठि उठि कs दबाई दियैन्ह। मोन में होइत छल भगवान कहुना हिनका निक कs देथुन। हमारा भगवान पर पूर्ण विश्वास छल जे ओ नीक कs देथिन्ह। हमरा घर में खास कs हमर माँ भोला बाबा के भक्त छथि ओ सदिखन कहैत भोला बाबा के मोन स ध्यान कयला सs ओ अवश्य सुनय छथि। हमरा होय जँ हम मोन सs भोला बाबा के ध्यान करबैन्ह तs अवश्य ओ हमर सुनताह कियैक नहि सुनताह। दबाई तs सब दिन हम जागि जागि क देलियैन्ह आ पूरा से भेलैक मुदा किछुए दिन बाद पता चललैक जे ओ डॉक्टर धोखेबाज छलैक आ लोक के दबाई में स्टेरोइड मिला कs दैत छलैक । खैर ई सिलसिला त चलैत रहलैक। जहाँ कियो कहथि व पता चलैक जे डॉक्टर या वैद नीक छथि या ओ किनको ठीक कयलथि या हुनका ओहि ठाम गेला सs फायदा भेलैन्ह हम ओहि ठाम जयबाक लेल हिनका मना लियैन्ह आ देखा दियैन्ह मुदा डॉक्टर प्रसाद केर दबाई कहियो बन्द नहि केलियैन्ह।


वेल्लोर सs अयालक किछु मास बाद बिनोद जी आ सोनी( हमर दोसर बहिनक पति आ बहिन) केर भयानक दुर्घटना भ गेलैन्ह ई सुनतहि हम दुनु गोटे धनबाद पहुचलहुँ । भगवानक इच्छा छलैन्ह जे ओ सब बाचि गेलथि । धनबाद आ पटना में इलाज करेलाक बाद हुनका सेहो इलाजक लेल वेल्लोर जेबाक छलैन्ह। हम आ लल्लन जी दोसर बेर वेल्लोर असगर गेलहुँ । बिनोद जी किछु दिन केर बाद पहुँचलाह आ हुनका सँग हुनक भाय आ एकटा संगी छलथिन्ह । एहि बेर फेर किछु दिनक लेल लल्लन जी के अस्पताल में भर्ती होमय परलैन्ह आ सबटा जाँचक बाद डॉक्टर प्रसाद हिनका दबाई देलथिन्ह आ chemotherapy शुरू करबाक लेल कहि अस्पताल सs छोरि देलथिन्ह मुदा ओ एहि बेरक रिपोर्ट सs खुश नहि छलाह , जतबा सुधार के हुनका आश छ्लैन्ह ततबा नहि भेल छलैन्ह


वेल्लोर
में डॉक्टर के जे कहबाक रहैत छैक से ओ सबटा मरीज आ घरक लोक वा जे कियो सँग में रहैत छैक हुनके सोझा में कहि दैत छथि । लल्लन जी के बिमारी केर विषय में सेहो हमरा आ लल्लन जी केर सोझा में ओ सब किछु कहैत छलाह । लल्लन जी तs किछु किछु डॉक्टर सs पुछि लैत छलाह मुदा हमरा हिम्मत नहि होय जे हम किछु पुछितियैन्ह । हमरा सब दिन मोन में आशंका बनल रहैत छल जे हमरा पूरा तरह हुनक बिमारी के विषय में नहि बुझल अछि। एक दिन हम विचारलहुँ जे असगर डॉक्टर प्रसाद लग जाय कs हुनका सs हम पुछबैन्ह हमरा लल्लन जी के सोझा में पुछय केर हिम्मत नहि छल । अस्पताल सs जहिया छुट्टी भेटल छलैक ओहि दिन हम लल्लन जी के कहलियैन्ह अहाँ किछु समय बिनोद जी लग हुनके केबिन में बैसु हुनको नीक लागतैंह आ हम किछु बजार सs लेने आबैत छी ताहि केर बाद होटल चलब । हम ई कहि हुनका सँग बिनोद जी केर केबिन गेलहुँ आ किछु समय बाद लल्लन जी के छोरि ओहि ठाम सs निकलि सीधा डॉक्टर प्रसाद लग चलि गेलहुँ। हुनका स जे जानकारी भेटल ओ सुनि हमर तs माथ घुमि गेल मुदा हम अपन हिम्मत नहि छोरलहुँ आ ओहि ठाम सs सीधे निकलि बिनोदजी केर केबिन दिस जेबाक लेल जहिना निकललहुँ सामने लल्लन जी के आबैत देखि हम चुप चाप दोसर दिस मुडि गेलहुँ । हम हुनका डॉक्टर प्रसाद केर कक्ष में जाइत साफ़ देखलियैन्ह मुदा ओ हमरा नहि देखि पयलाह । एहि तरह केर हम सिनेमा में देखने छलियैक मुदा असल जीवन में हमरा सँग होयत, ई कहियो सोचनहु नहि छलियैक । हम सीधा बिनोदजी केर केबिन के लेल चलि देलहुँ मुदा रास्ता भरि डॉक्टर प्रसादक बात दिमाग में घुमैत छल जे आब अहाँ दोसर बेर WBC आ bone marrow transplantation केर सोचि कs आयब, दोसर ई जे बाद में हड्डी ततेक कमजोर भs जयतैन्ह जे बहुत ध्यान देबय पड़त नहि तs हड्डी टूटय के डर रहतैंह तेसर ई जे हुनक चालिस प्रतिशत cells malignant छलैन्ह जे डॉक्टर केर कहनानुसार ठीक नहि छलैक।


हम इ त बुझिए गेल छलहुँ जे लल्लन जी सेहो हमरा परोछ में किछु डॉक्टर प्रसाद सँ पुछय चाहैत छलाह आ ओहि लेल हुनका लग गेल छलाह । इ सोचि हमरा आओर भीतर सँ तकलीफ होइत छल जे हुनका सब बात बुझल रहतैंह तs हुनका मोनमें सदिखन तरह तरह केर भावना आबैत रहतैंह। हमरा वेल्लोर अस्पताल केर आ डॉक्टर केर इ एको रत्ती नीक नहि लागल। कम स कम रोगी के नहि बतेबाक चाहि। हम सदिखन अपन किस्मत पर गौरवान्वित होइत छलहुँ आ आजु होइत छल हे भगवान हमर इ भ्रम के नहि तोरु ।


बिनोद जी केर केबिन में पहुँचि हम बैसि गेलहुँ, एक बेर नहि पुछालियेंह हिनका विषय में । बिनोद जी अपनहि कहलाह , "ठाकुर जी नहि भेटलाह ओ तs अहिं के ताके लेल गेलाह अछि । हम बस एतबहि कहलियैन्ह आबि जयताह । हम अपन मोन में आबय वाला एक एक टा उद्वेग के कोना कहितियैन्ह ।

8 comments:

संजय भास्‍कर said...

अच्छा लगा पढ़कर
bahut hi sunder



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Tulsibhai said...

padhkar accha laga

Tulsibhai said...

padhakar accha laga ...


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Randhir Singh Suman said...

बिनोद जी केर केबिन में पहुँचि हम बैसि गेलहुँ, एक बेर नहि पुछालियेंह हिनका विषय में । बिनोद जी अपनहि कहलाह , "ठाकुर जी नहि भेटलाह ओ तs अहिं के ताके लेल गेलाह अछि । हम बस एतबहि कहलियैन्ह आबि जयताह । हम अपन मोन में आबय वाला एक एक टा उद्वेग के कोना कहितियैन्ह ।nice

Kusum Thakur said...

आप सबों का आभार .

सृजनगाथा said...

अगला अंक ब्लॉग पर साहित्य विशेषांक है - www.srijangatha.com का ।
आप अपने ब्लॉग की कोई अच्छी प्रस्तुति (साहित्य की किसी भी विधा में ) का लिंक भेज दें । और चाहें तो अन्य मित्रों का भी लिंक जिन्हें आप ब्लॉग पर अच्छा साहित्य समझते हैं । आज ही ।

Pawan Kumar said...

ठेठ भोजपुरी में लिखना कठिन है......आपका प्रयास मनभावन रहा......बहुत अच्छे

PRIYADARSHI said...

oh, ekra padhabak bad ki likhu e nahin sujhi rahal achi.. shabd nahi achi.. aankhi bharal achi..
khair aab hunkar ki hal chani.. se batayab..

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