Thursday, October 22, 2009

एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी (तेइसम कड़ी )

ओना त एकटा कहबी छैक "जाबैत साँस ताबैत धरि आस " मुदा हमरा तs पूर्ण विश्वास छल जे लल्लन जी के किछु नहि होयतैन्ह मात्र किछु दिनक ग्रहक चक्कर छैक, तथापि चिन्ता तs होइते छल । हम इ कोना कही जे चिन्ता नहि होइत छल । हमारा सब केर वेल्लोर सs अयालक किछु मास बाद दादा जी (हमर ससुर) अयलाह। एक दिन दादा जी लल्लन जी सs गप्प करैत छलाह, हम दोसर कोठरी में छलहुँ मुदा हुनकर सबहक गप्प ओहिना स्पष्ट सुनाई परैत छल । जहिना हम हिनक बिमारी के विषय में गप्प करैत सुनालियैक ओहि घर में रुकि गेलहुँ आ दादा जी आ लल्लन जी केर गप्प सुनय लगलहुँ । दादा जी हिनका सs कहैत छलाह "अहाँ चिंता जुनि करू अहाँ केर मात्र ग्रहक चक्कर अछि , हम बेबी बाबु सs अहाँक आ अपन टिपनि देखेलियैक अछि अहाँके किछु कष्ट अवश्य अछि मुदा हमरा पुत्र शोक नहि अछि "। इ सुनी लल्लन जी आ दादा जी केर मुख मंडल पर आबय वाला भाव तs हम नहि देखी सकलियैक मुदा कल्पना अवश्य केलहुँ । खास कs लल्लन जी केर जिनका हम खूब नीक सs चिन्हैत छलियैक । हम आगू नहि सुनी सकलियैक आ ओहि ठाम सs चलि गेलहुँ । मनुष्य कतेक विवश होइत छैक ?


दादा जी अपन इच्छा हिनका लग व्यक्त कयने रहथि जे हुनक इच्छा छलैन्ह जे हुनक बेटा सब सेहो मधुबनी में घर बनाबथि , हमरा एक बेर लल्लन जी इ बात कहने छलाह । दादा जी जमशेदपुर सँ गेलाक किछुए दिन बाद एकटा चिट्ठी पठौलथि जाहि में लिखने छलाह जे ओ मधुबनी में मकानक लेल जमीन देखि रहल छथि संगहि गाम पर सेहो एकटा जमीन छैक आ हुनक इच्छा छैन्ह जे ओ जमीन लल्लन जी लs लेथि । चिट्ठी अयलाक किछुए दिन बाद दादा जी केर दोसर चिट्ठी अयलैन्ह जाहि में ओ लल्लन जी के पाई लs कs गाम वाला जमीन रजिस्ट्री कराबय लेल आबय के लेल लिखने छलाह संगहि एकटा मधुबनी में मकान लेल नीक जमीन छलैक सेहो लिखने छलाह । लल्लन जी मधुबनी गेलाह आ गामक जमीन रजिस्ट्री करा लेलथि संगहि हुनका मधुबनी वाला जमीन सेहो पसीन आबि गेलैन्ह आ ओहि जमीन वाला सँ सेहो गप्प करि कs आबि गेलाह । किछु दिन बाद पाई केर इंतजाम करि कs दादा जी केर पठा देलथिन्ह आ दादा जी केर जमीन रजिस्ट्री कराबय लेल कहि देलथिन्ह । हमरा कहलाह "ओना तs हमरो इच्छा नहि छल मधुबनी में मकान बनेबाक, मुदा दादा कहि देलाह तs हुनकर इ इच्छा अवश्य पूरा होयतैन्ह "।


लल्लन जी केर सोचब सच में ठीक छलैन्ह, जमीन किनला के बाद सs दादा जी बड खुश रहैत छलाह । Tisco सँ घर बनेबाक लेल क़र्ज़ (loan) भेटय में किछु समय लागि गेलैक । ता धरि दादा जी नींव दियेबाक सबटा दिन देखवा लेलाह । नींव देलाक सँग घर बनय लगलैक हम दुनु गोटे सँग में पंडित जी सेहो मधुबनी घर बनेबाक लेल गेल छलहुँ । पता नहि कोन धुन छलैन्ह आ की सोचय छलाह मुदा हम सब जे सोचि कs घर बनाबय लेल गेल रही ताहि सँ बेसी नीक घर बनि गेलैक । एक तs अपने" सिविल इंजिनियर " मकानक सबटा नक्सा अपने बनने छलाह आ दुनु गोटे ठाढ़ रहैत छलहुँ तs किछु नय किछु अपन सुविधाक ध्यान आबिये जाइत छल । मिला जुला कs हमरा सबहक हिसाबे जतबा मकान मद में लगबाक चाहि ओहि सँ बहुत बेसी भs गेलैक मुदा कोनो वस्तु में हम सब कटौती नहि केलियैक सब सामन नीके लगायल गेलैक। बेसी सामन तs जमशेदपुर सँ ट्रक सs किनि कs पठायल गेल छलैक । मकान बनैत छल ओहि समय में कखनहु कs हमरा मोन में होइत छल जे बेकार में एतेक खर्च कs रहल छियैक मकान केर पाछू मुदा हिनका नहि कहि पाबियैन्ह । मकान बनय में तs ओना छौ मास लागि गेलैक मुदा दो मास लगातार हम , लल्लन जी आ पंडित जी (जे हमर बेटे सन छथि ) तीनू गोटे छलहुँ ओहि केर बाद बीच बीच में हम आ लल्लन जी अबियैक आ किछु दिन रहि चलि जाइत छलियैक मुदा पंडित जी छौ मास धरि लगातार रहलाह आ मकान बनि गेलाक बादे जमशेदपुर आपस गेलाह ।


खैर छौ मास में मकान बनि कs तैयार भs गेलैक । गृह प्रवेशक दिन देखा कs गृह प्रवेश सेहो खूब धूम धाम सँ भेलैक । गृह प्रवेशक किछुए दिन बाद हमर देवर केर विवाह छलैन्ह जाहि में लल्लन जी बड उत्साहित छलाह आ विवाह सेहो नीक सँ संपन्न भेलैक । गृह प्रवेश सँ विवाह धरि ओहि बेर हम सब करीब एक मास मधुबनी में रही आ अपन ओहि मकान में छलहुँ मुदा एकटा प्रसन्नता होइत छैक, से पता नहि कियैक हमरा भीतर सँ नहि होइत छल। इ भावी दुखक संकेत छल कि की, नहि जानि ।

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