Sunday, May 31, 2009

एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी (तेरहम कड़ी )

ओना तs जहिया सs हम सब जमशेदपुर अयलहुँ आ बाबुजी के बुझल भेलैंह जे काका के मोन ख़राब रहैत छैन्ह बराबरि राँची जायत छलाह आ काका के डॉक्टर लग अपनहि लs कs जायत छलाह, मुदा एहि बेरक गप्प किछु आओर छैक। पिछला बेर डॉक्टर एन.के. झा एक मास बाद आबय लेल कहने छलथिन आ कहने छलथिन जओं एक मास मे ओ दवाई काज नहि केलकैन्ह तs काका के जमशेदपुर वा बम्बई लs जाय परतैन्ह। काका के कोन बिमारी छैन्ह से राँची के डॉक्टर के पता नहि चलैत छलैक। एहि बेर बाबुजी सोचि के जायत छलाह जे जओं डॉक्टर साहेब कहलथि तs काका के जमशेदपुर लs अनताह। जमशेदपुर मे बाबुजी के एतबहि दिन मे डॉक्टर सब सs जान पहचान भs गेल छलैन्ह आ काका के विषय मे डॉक्टर सब सs गप्प सेहो कयने रहथिन।

बाबुजी राँची सs लौट कs अयलाह तs हमर हिम्मत हुनका लग जयबाक नहि होयत छल। बाबुजी सs की पुछियैन्ह, की कहताह इ सोचि रहल छलहुँ कि माँ अयलीह आ अपनहि कहलीह जे काका सब दू तीन दिन बाद आबि रहल छथि, आब एहि ठाम हुनकर इलाज होयतैन्ह। राँची मे डॉक्टर सब के नहि बुझा रहल छैक जे हुनका कोन बिमारी छैन्ह। इ सुनतहि हमरा मोन मे तरह तरह के आशंका होमय लागल।

काका, मौसी, मधु, पपू, निक्की आ सोनू सभ गोटे आबि गेलथि। काका के देखि हम हुनका देखितहि रहि गेलहुँ। पहिल दिन जमशेदपुर हमरा सब सs भेंट करय लेल आयल छलथि ताहु सs बेसी कमजोर लागैत छलाह। हमरा किछु नहि फुराइत छलs जे हम की बाजियैन्ह। काका हमर मोनक गप्प अपनहि बुझि गेलाह आ कहलाह "पेट मे बड दर्द होयत अछि आब एहि ठाम भैया लग आबि गेलहुँ आब ठीक भs जायब"।

भोरे बाबुजी काका के लs कs टाटा मेन हॉस्पिटल गेलाह। करीब १२ बजे बाबुजी असगरे अयलाह आ माँ सs कहलथिन जे" जयनंदन के check-up करय के लेल भर्ती कs लेलकैन्ह अछि। बेर बेर अनाइ गेनाइ मे दिक्कत होइतैक ताहि चलते भरती करा देलियैन्ह। सब जाँचक बादे डॉक्टर बतायत जे हुनका की छैन्ह आ कोन दबाई चलतैन्ह"। साँझ मे माँ आ मौसी सेहो बाबुजी के सँग काका सs भेट करय लेल गेलिह। मधु पप्पु सब घर पर हमरा सब सँग छलथि।

काका के एक सप्ताह सs बेसी भs गेल छैन्ह हॉस्पिटल मे मुदा अखैन्ह धरि जाँच चलिए रहल छैन्ह। बिमारी कोन छैन्ह सेहो नहि बुझल छैक। बाबुजी के आजु एक गोटे सs कहैत सुनलियैन्ह जे आब एहि सप्ताह मे सब टा जाँच खतम भs जयतैक, तकर बाद हुनकर इलाज आरम्भ होयतैन्ह।

मौसी सब दिन अपना सँग सोनू के लs जायत छलिह। आय माँ आ मौसी सँग मधु पप्पु सेहो काका सs भेंट करय लेल गेल छथि। हमर मोन सेहो छलs जेबाक मुदा एक संगे बेसी लोग गेनाइ ठीक नहि, हम सोचलहुँ दोसर दिन जायब। सब चलि गेलथि तs मोन से नहि लागति छलs। रहि रहि कs बाहर जायत छलहुँ देखय लेल जे माँ सब अयलीह कि नहि।

माँ सब हॉस्पिटल सs लौट कs अयलीह तs माँ भनसा घर दिस चलि गेलिह, मौसी अपन बच्चा सब मे लागि गेलिह मुदा बाबुजी एकदम उदास बुझेलाह। हम चाय लs कs बाबुजी लग गेलहुँ आ हुनका चाय दs धीरे सs पुछलियैन्ह "काका के मोन केहेन छैन्ह"। किछु समय तक तs बाबुजी किछु नहि बजलाह मुदा फेर कहलाह "मोन ठीक नहि छैन्ह, आब सब रिपोर्ट आबि गेलैक अछि । जयनन्दन के कैंसर छैन्ह, सेहो अन्तिम स्टेज मे। अहाँ के मौसी के नहि बुझल छैन्ह आ नहि हुनका किछु कहबैन्ह । आय सs दवाई सेहो शुरू भs गेल छैक"। बाबुजी के हम किछु जवाब नहि दs सकलियैन्ह आ ओहि ठाम सs चलि गेलहुँ।

माँ सs हम पहिनहि कहि देने रहियैन्ह जे आजु हम काका के देखय लेल अवश्य जायब। हॉस्पिटल पहुँचि काका लग गेलहुँ तs देखि बुझायल जेना काका आओर कमजोर भs गेल छथि। अस्पताल सs अयलाक बाद हमरा किछु नहि फुराइत छल जे की करी। राति मे हमरा किछु नहि फुरायल तs हिनका चिट्ठी लिखय लेल बैसि गेलहुँ आ काका के स्वास्थ्य केर विषय मे सबटा लिखि देलियैन्ह।

आय इहो पहुँचि गेलाह। बाबा के नहि कहल गेल छैन्ह , दादी के किछु आओर कही बजा लेल गेल छैन्ह। काका, काकी, पीसा, पीसी सब तs पहिनहि सs आबि गेल छथि। काका के मोन दिन दिन ख़राब भेल जा रहल छैन्ह इ देखि परिवारक सभ गोटे चिंतित छथि। अस्पताल सs अयलाक बाद मौसी आ दादी मन्दिर गेल छथि। बाबुजी आ बाकी परिवारक सभ गोटे बैसि कs गप्प क रहल छथि। हम बाहर मे बैसल छी कि अचानक बाबुजी के कहैत सुनलियैन्ह "टिस्को (TISCO) के प्रबंध निर्देशक केर पत्नी के सेहो जयनन्दन वाला बिमारी छैन्ह आ ओ अमेरिका सs इलाज करा कs आयल छथि। हुनको अमेरिका के डॉक्टर जवाब दs देने छैन्ह, आब ओहो एहि ठाम अस्पताल मे छथि आ एके डॉक्टर दुनु गोटे के इलाज कs रहल छैन्ह। दवाई सेहो एके परि रहल छैन्ह। आब तs मात्र भगवान पर भरोसा अछि"। इ सुनलाक बाद मोन आओर छोट भs गेल सोचय लगलहुँ पता नहि आब काका ठीक होयताह की नहि।

परिवारक सभ कियो जमशेदपुर मे छथि मुदा बाबा आ बौआ के किछु नहि बुझल छैन्ह। बौआ के मेट्रिक परीक्षा छैन्ह इ सोचि हुनका किछु नहि बतायल गेल छैन्ह। बिचार भेलैक जे इ मुजफ्फरपुर जयबे करताह परीक्षा समय मे बौआ लग चलि जयताह।

भोर मे मामा सभ अयलाह आ इ मुजफ्फरपुर चलि गेलाह। हमरा कहैत गेलाह जे मेट्रिक के परीक्षा तक ओम्हरे रहताह कारण सभ गोटे जमशेदपुर मे छथिन्ह जओं बौआ के किछु काज भेलैंह तs एको गोटे के लग मे रहबाक चाहि।

Friday, May 22, 2009

एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी(बारहम कड़ी)

बोमडिला आबय समय हम सोचनहुँ नहि रहिये जे एतेक जल्दी हिनका सs भेंट होयत। हिनका देखि हमरा अत्यन्त प्रसन्नता भेल मुदा व्यक्त करय मे संकोच होयत छलs। इहो हमरा देखि कम खुश नहि छलथि आ नहि हिनका अपन प्रसन्नता व्यक्त करय में देरी लागलैन्ह। बौआ के जायत देरी अपन खुशी व्यक्त कs देलाह।

हम हिनका सs गप्प करैत छलियैन्ह आ हिनक कॉलेजक विषय मे पुछति छलियैन्ह कि अचानक इ कहि उठलाह " हम सोचि लेने छी, सब मास अहाँ लग आबय के लेल छुट्टी लेब, ताहि सs नीक जे अहाँक नाम हम मुजफ्फरपुर मे लिखवा दी। प्रकाश(बौआ के नाम) एहि बेर सs बाबा लग रही कs पढिये रहल छथि। हम अहाँ कs बाबुजी सs गप्प करैत छियैन्ह। ओनाहुँ अहाँक काका कs बदली राँची सs भs रहल छैन्ह आ निर्मला कॉलेज मे अहाँ के हॉस्टल मे नहि लेत, कियाक तs ओ सब बियाहल के हॉस्टल मे नहि लैत छैक। द्विरागमन होयबा मे एखैन्ह कम सs कम डेढ़ साल छैक, अहाँक बाबुजी के कतय बदली होयतैन्ह नहि जानि। हम आब बेसी दिन अहाँ सs अलग नहि रहि सकैत छी। मुजफ्फरपुर मे भेंट तs होयत, आ बदली के चक्कर से नय रहत"। हम चुप चाप सुनि लेलियैन्ह, सोचलहुँ कॉलेज तs मुजफ्फरपुर मे राँची सs नीक नहि होयत मुदा हिनकर छुट्टी आ ऐबा जयबा वाला चक्कर समाप्त भs जयतैन्ह।

भोर मे बौआ के देखलियैन्ह जल्दी जल्दी तैयार भs गेलाह आ हिनकर खुशामद करय छलाह। हमरा मना कs देने छलथि हिनका सs सीढी के विषय मे गप्प करबाक लेल वा बतेबाक लेल जे कतेक सीढी छैक। जलखई के बाद हम, बौआ आ इ तीनू गोटे घुमय लेल निकलहुँ।जाड़ छलैक हम सब अपन अपन गरम कपडा पहिर लेने रही। सबस पहिने बाबूजी के ऑफिस पहुँचलहुँ ओ देखलाक बाद बौआ कहलाह चलु हम सब आओर नीचा चलैत छी। हम सब नीचा चलैत गेलहुँ, नीचा जाय मे तs बड नीक लागल। एक तs सीढ़ी नीक छलैक दोसर ढलांग पर उतरय मे ओनाहु नीक लागैत छैक। उतरय समय मे हम सब बुझबे नहि केलियैक जे कतेक नीचा जा रहल छी। हम सब मौसम आ प्रकृति केर आनंद लैत कखनहु कs बाजी लगा कs दौड़ति आ कखनहु कूदति नीचा उतरति गेलहुँ। अचानक इ कहलाह आब आगू नहि , आब एतय सs आपिस चलु। सड़क नजरि आबय लागल छलैक हम सब विचारि केलहुँ सड़क सs आपिस भेल जाय आ हम सब पहिने सड़क सs आ बीच बीच मे सीढी सs चढैत ऊपर जाय लगलहुँ।

ऊपर चढय समय सेहो शुरू मे तs नीक लागल मुदा जलदिये थाकि गेलहुँ। ततेक गरमी लागल जे एक एक कs अपन अपन स्वेटर उतारय परि गेल। ओकर बाद हम सब रुकि रुकि कs चलय लागलहुँ। घर पहुँचति पहुँचति हम सब ततेक थाकि गेल रही जे घर पहुँचति देरी इ तs सीधे बिछौन पर परि रहलाह। किछु समय बाद जखैंह इ भोजन करय लेल उठलाह तs बौआ हँसैत पुछलथिन "केहेन लागल बोमडिला "। सुनतहि हँसय लगलाह आ कहलाह "अरे अहाँ तs हमरा मारि देलहुँ आ पुछति छी केहेन लागल बोमडिला, हम आब किनहु अहाँ दुनु भाई बहिन संग पैरे घुमय नहि जायब "।

बाहर वाला घर में बैसला सs गेट ओहिना नजरि आबैत छलैक आ गेट लग सीढ़ी छलैक जाहि सs ऊपर चढि आ फेर नीचा उतरि कs झरना लग जाय परैत छलैक ।झरना के बाद दाहिना दिस सीढ़ी छलैक जाहि सs नीचा उतरि बाबुजी केर ऑफिस जाय परैत छलैक । बाबुजी सब दिन भोर में जायत समय आ खेनाई खाय लेल जखैंह आबैत छलाह तखैन्ह दुनु बेर ऑफिस पैरे जायत छलाह आ आपिस आबैत छलाह। इ सब दिन बाबुजी के ऑफिस जाय समय बाहर वाला घर में जा कs बैसि रहैत छलाह। जाय समय बाबुजी हमरा कहैत गेलाह जे हम सब तैयार रही ओ ऑफिस जाय कs जीप पठा देताह आ हम सब सलारी जे कि बहुत नीक जगह छलैक ताहि ठाम सs आजु घुमि आबि। बाबुजी केर ऑफिस जाय समय हम जखैन्ह बाहर वाला घर मे गेलहुँ तs इ आ बौआ पहिनहि सs ओहि घर मे छलाह। जहिना हम पहुँचलहुँ बाबुजी गेट लग पहुँचि गेल छलाह, ओ जहिना गेट सs ऊपर गेलाह इ तुंरत कहि उठलथि , देखू आब बाबुजी घुरताह, हम मजाक बुझि हँसय लगलहुँ मुदा सच मे बाबुजी किछुए आगू जा फेर आपस घर आबि गेलाह आ अपन कोठरी मे जा फेर ऑफिस गेलाह। हम पुछलियैन्ह अहाँ कोना बुझलियय जे बाबुजी आपस अओताह, तs हमरा कहलाह ओ तs सब दिन एक बेर ऑफिस जाय समय मे आपिस आबि कs जाय छथि। हम जहिया सs अयलहुं अछि हम देखि रहल छियैन्ह। बाबुजी के किछु नय किछु सब दिन छुटैत छैन्ह आ ओ आपिस आबि कs लs जायत छथि। हमरा हँसी लागि गेल आ कहलियैन्ह अहाँ के अहि ठाम कोनो काज नहि अछि तs यैह सब देखति रहैत छियैक।

आजु बाबुजी ऑफिस s अयलाह s आबिते सुनेलाह जे हुनक बदली के आदेश आबि गेल छैन्ह आब जलदिये हुनका जमशेदपुर जा s ओहि ठामक कार्य भार सम्भारय परतैन्ह सुनि हमरा बड खुशी भेल, संगहि देखलियैक बिन्नी सोनी बौआ सब खुश छलथि सब s बेसी माँ खुश छलीह

जहिया सs बाबुजी कहलथि जे हुनक बदली केर आदेश आबि गेल छैन्ह ओहि दिन के बाद s बौआ हम सब दिन घुमय निकली, बीच बीच मे कोनो कोनो दिन सोनी बिन्नी सब सेहो सँग जायत छलिह बोमडिला मे घुमय लेल एक s एक जगह छलैक मुदा प्रदूषण नामक कोनो वस्तु नहि दूर वाला जगह सब s जीप सs जाइत छलहुँ मुदा लग वाला सब पैरे जाइत रही एकटा बातक ध्यान सदिखन राखथि जे चलैत चलैत बेसी दूर नहि जाई

हमरा लोकनि कs बोमडिला मे एक डेढ़ मास घुमति फिरति कोना बीति गेल से बुझय मे नहि आयल जएबाक दिन लग आबि गेल छलैक, बाबुजी कहलथि जे सब गोटे एकहि सँग चारद्वार तक जायब ओहिठाम s ठाकुर जी बौआ मुजफ्फरपुर चलि जयताह बाकी हम सभ जमशेदपुर चलि जायब

चारद्वार गेस्ट हाउस तक सब गोटे सँग अयलहुँ ओहि ठाम आबि एक बेर फेर बिछरय के आभास भेल मुदा एहि बेर दोसर तरहक छलs मोन मे भेल आब s किछुए दिनक गप्प छैक तकर बाद s सब ठीक s जायत हमर पढ़ाई हिनका अयबा जयबा मे सेहो कोनो तरहक दिक्कति नहि होयत हिनकर ट्रेन पहिने छलैन्ह, जाय समय मे हमरा उदास देखि कहलाह " आब s अहाँ जमशेदपुर मे रहब ओहि ठाम जाय मे हमरा कोनो दिक्कत नहि होयत किछु दिन बाद हमर पढ़ाई सेहो खतम s रहल अछि"

जमशेदपुर
पहुँचि बाबुजी के रहय लेल एकटा खूब पैघ सरकारी बंगला भेट गेल छलैन्ह जे कि किछु दिन सs खाली छलैक। जतबा पैघ घर छलैक ततबे पैघ ओहि मे बगीचा मुदा खाली कियाक छलैक से तs बाबुजी के नहि बुझय मे अयलैन्ह, मुदा माँ के ओहि घर मे रहय मे डर होयत छलैन्ह आ कहलथि "एहि घर मे बेसी दिन नहि रहल जा सकैत अछि। जाबैत कोनो दोसर नीक घर नहि भेटय छैक ताबैत एहि बँगला मे रहल जाय"। माँ सब के कहि देने रहथि जरूरी सामान मात्र खोलबाक अछि। ओहि बंगला मे कम सs कम छौ सात टा कोठरी छलैक जाहि मे सs दू टा कात वाला कोठरी आ भनसा घर खोलि हम सब रहय लगलहुँ। बाकी सब कोठरी बंद रहैत छलैक।

हम सब जमशेदपुर अयलहुँ ओकर दू तीन दिन बाद काका भेंट करय लेल अयलाह, हुनका देखि हम तs आश्चर्यचकित रहि गेलहुँ। एतबहि दिन में ततेक कमजोर लागैत छलाह जे देखतहि माँ पुछलथिन "अहाँ के किछु होयत अछि की फूल बाबू"। काका कहलथि कोनो ख़ास नहि, बीच बीच मे पेट मे गैस भs जायत अछि जाहि के चलते दर्द होयत रहैत अछि।काका जाय लगलाह तs माँ काका के कहलथिन जे राँची जा कs सबस पहिने नीक सs डॉक्टर से देखाऊ, बराबरि दर्द भेनाई ठीक नहि छैक ।

हम सब ठीक दुर्गा पूजा सs पहिने जमशेदपुर पहुँचल रही । एक तs नब जगह ताहि पर तेहेन घर छलैक जे कतहु घुमय जाय मे से डर होयत छलैक, मुदा हम सब जमशेदपुरक पूजा देखलहुँ। दिवाली सs एक दू दिन पहिने इ पहुँचलाह। हिनका देखि कs सब भाई बहिन सब खुश भs जाय गेलथि आ इहो सब संग मिली कs दिवाली के पटखा कs तैयारी करय मे लागि गेलाह ।

दिवाली दिन साँझ मे पूजाक बाद सभ गोटे बाहर मे बैसि कs प्रसाद खाइत छलहुँ प्रसाद खेलाक बाद इ उठि कs पाछू गेलाह आ सँग सँग चारू भाई बहिन सेहो हिनके पाछू चलि गेलथि। माँ भानस मे लागल छलिह बाहर मे मात्र हम आ बाबुजी बचि गेलहुँअचानक पाछू वाला घर मे बुझायल जेना बम फुटैत छैक। बाबुजी आ हम दूनू गोटे दौरि कs भीतर गेलहुँ। माँ से भनसा घर स दौरि क अयलीह। जाहि दिस सs आवाज अबैत छलैक ओहि दिस घरक भीतरे सs हम सब गेलहुँ। बाबुजी घर सब खोलैत जओं बीच वाला हॉल लग पहुँचलाह तs सामने मे इ ठाढ़, संग मे बिन्नी, सोनी , अन्नू आ छोटू सब पटाखा छोरि थपरी पारि खुश होयत छलथि। असल मे इ, सब बच्चा के लs कs बीच वाला हॉल मे पटखा छोरैत छलाह। बीच वाला हॉल ततेक टा छलैक आ ताहि पर खाली जे छोटका पटाखा सेहो बुझाइत छलैक जे बम फुटल छैक। हिनका देखि बाबूजी किछु नहि बजलाह आ हँसैत आपिस भs गेलाह।


Wednesday, May 13, 2009

एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी (एग्यारहम कड़ी)

बोमडिला पहुँचलहुं त साँझ भs गेल छलैक। जीप सs उतरि कs माँ हमरा सब के लs आगू बढि गेलिह आ बाबुजी सामान सब उतरवाबय लगलाह। हम जहिना सीढी पर चढि ऊपर अयलहुं, लकडी के घर सब देखाई परय लागल। बाहर सs सब घर देखय मे एकहि जेना बुझि परैत छलैक। सब घरक छत हरियर, मुदा दू घर सs बेसी एक समतल जमीन पर नजरि नहि आयल। ऊपर आ नीचा सब ठाम जएबाक लेल सीढी बनल रहैक।ऊपर नीचा करैत हम सब अपन घर पहुँचि गेलहुँ।

हम सब ततेक थाकल रही जे चाय आ जलखई केलाक बाद कखैन्ह नींद आबि गेल, हम नहि बुझलियैक। माँ के बोली पर हमर नींद खुजल। माँ कहि रहल छलथि " उठु नय भोजन केलाक बाद फेर सुति रहब"। उठलहुँ तs, मुदा जारक चलते हमरा भोजनो करबाक मोन नहि भs रहल छलs।माँ हमरा बिछोना सs उतरय लेल मना कs देलथि आ हमर भोजन बिछाओन लग मँगा देलिह। भोजनक बाद हम कोहुना उठि कs हाथ धोए लेल बिछाओन सs उतर कs गेलहुँ।

हमर आँखि खुजल तs माँ बाबुजी आ एक आओर व्यक्ति के अपना सोझा मे देखि हम हरबरा कs उठय लगलहुँ। माँ कहलिह "किछु नहि भेल अछि परल रहू। असल में अहाँ हाथ धोअय लेल गेलहुँ तs ओहि ठाम बेहोश भs खसि परल रही। की भेल छलs? डॉक्टर साहेब कहैत छथि ऊंचाई के चलते भेलैक अछि। एके बेर ओतेक नीचा सs ८ हजार फीट पर पहुँचि गेलहुँ ताहि केर असर छैक आओर किछु नहि"। तखैन्ह हमरा याद आयल जे हमरा चक्कर जेना बुझायल छलs आओर किछु याद नहि छलs। डॉक्टर इ कहि चलि गेलाह जे आराम करू भोर तक एकदम ठीक भs जायत।

बेर बेर उठि मुदा बुझाइत छल एखैन्ह भोर नहि भेलैक आ फेर सुति जाइत छलहुँ। मोन मे आयल जे घड़ी देखि लेत छी। जओं घड़ी दिस नजरि गेल तs आठ बाजैत छलs, हरबरा कs उठलहुँ आ बाहर दिस निकलि गेलहुँ। राति मे एक तs ठंडा आ ताहि पर ततेक थाकल रही जे घर मे घुसलाक बाद बाहर निकलबाक हिम्मत नहि भेल। बाहर आबितहि बुझि गेलहुँ जे हमरा कियाक होयत छलs जे भोर नहि भेलैक अछि। धुंध तेहेन छलैक जे अपन घर छोरि कs सामने वाला घर सेहो नहि देखाइत छलs। किछुए कालक बाद बौआ सेहो बाहर पहुँचि गेलाह। धुंध बेसी काल नहि रहलैक आ हटैत के सँग प्राकृतिक रूप साफ साफ देखाई परय लगलैक।किछु काल तक ठाढ़ भs हम प्रकृतिक ओहि रूप के देखैत रहि गेलहुँ। जतय तक नजरि गेल, सब घरक सोंझा मे सुंदर सुंदर फूल नजरि आयल जे देखि मोन प्रसन्न भs गेल। हम ठाढ़ भs देखैत छलहुँ कि अचानक एक झुंड लड़ाकू विमान (mig) बुझायल जेना हमर घरक ठीक पाछू सs निकलल अछि आ आसमान मे एम्हर सs ओम्हर करय लागल। कखनहु बुझाइत छलs आब खसि परतैक मुदा फेर तुंरत ऊपर आबि जायत छलs। ओहि विमानक झुंड देखैत देरी हम दुनु भाई बहिन अपन बरामदा सs उतरि जओं पाछू गेलहुँ तs पहाड़ के सुन्दरता देखि किछु काल ओहि ठाम ठाढ़ रहि गेलहुँ। बुझाइत छल जेना पहाड़ घरक ठीक पाछू मे अछि। हम आ बौआ घरक चारू कात घुमि घुमि कs सब वस्तु देखय लगलहुँ। एक सs एक सुंदर फूल घरक सामने आ कात वाला फुलवारी मे लागल छलैक।फूलक रंग आ आकर देखि हम आश्चर्य चकित रही गेलहुँ।

बाबुजी ऑफिस जएबाक लेल बाहर अयलाह त हम दुनु भाई बहिन बाहर छलहुँ। ओ बतेलाह जे बोमडिला मे बहुत सैनिक छैक, मुदा ओ सब नजरि नहि आयत कियाक तs सब बंकर(bunkar) मे रहैत छैक। अहि ठाम भारतीय सेनाक जेट,(jet) मिग(mig) आ सब तरहक लडाकू विमान देखय भेटत। सैनिक सब बराबरि अपन अभ्यास करैत रहैत छैक। भारत चीनक बोर्डर सेहो बोमडिला सs लग १४ हजार फीटक ऊंचाई पर एकटा जगह छैक सेलापास ताहि ठाम छैक। ओतय तs आओर बेसी ठंढा रहैत छैक।

जुलाई, अगस्त मास मे एतेक जाड़ हम नहि देखने रहियैक। एक तs अहि ठाम हमरा आ बौआ दुनु गोटे के मोन नहि लागैत छलs ताहि पर जाड। हम आ बौआ सब दिन सोचैत छलहुँ घुमय लेल जायब मुदा जाड़क चलते नहि जायत छलहुँ। बाबुजिक ऑफिस घर सs बहुत नीचा रहैन्ह आ सीढी सs उतरय आ चढ़य परैत छलैन्ह जे १०० सs बेसी छलैक। एक दिन हम आ बौआ बिचारि कs स्वेटर पहिरि घुमैत घुमैत बाबुजी के ऑफिस देखय लेल गेलहुँ। जाइत काल मे उतरय के छलैक, ओ तs बड नीक लागल आ दुनु गोटे सीढ़ी पर कूदैत कूदैत उतरि गेलहुँ। चढ़ैत काल दुनु गोटे के हालत ख़राब भs गेल। आपस अयलाक बाद बौआ कहलाह "ठाकुर जी अओताह तs हम हुनका अवश्य बाबुजी के ऑफिस लs जयबैन्ह"।

अन्नू आ छोटू तs बहुत छोट छलथि, सोनी आ बिन्नी दिन मे स्कूल चल जाइत छलिह, बौआ आ हम दुनु गोटे बेसी घर मे रहैत छलहुँ। साँझ मे बाबुजी अयलाह, हम सब बैसि कs बोखारी लग चाह पिबति रहि आ गप्प सप्प होयत छलैक। गप्प के बीच मे माँ बाबुजी सs कहलिह "मुन्नी बौआ के कतहु कतहु घुमा दियौक नञ। इ सब कतहु नहि जायत छथि भरि दिन घर में रहैत छथि। दुनु गोटे के मोन नहि लागि रहल छैन्ह"। इ सुनतहि बाबुजी कहलाह"बुझाइत अछि आब हमर बदली जल्दिये भs जायत। आजु हम ठाकुर जी के लेल परमिट बनवा कs पठा देलियैन्ह आ जल्दिये आबय लेल लिखि देने छियैन्ह। हुनको आबि जाय दियौन्ह तs तीनू गोटे एकहि संग घूमि लेताह। बाद मे तs एहि ठाम आबय मे थोरेक झंझट छैक"। इ सुनी हमरा नीक लागल, सच मे हमरा मोन नहि लागि रहल छल।

जहिया सs बाबुजी कहलाह ओ हिनका लेल परमिट पठा देने रहथि ताहि दिन सs हम आ बौआ सब दिन हिनक बाट देखैत छलियैन्ह। बौआ सब दिन बैसि कs हमरा सs गप्प करैथ जे हिनका अयला पर हम सब कतय कतय घुमय लेल जायब। ओ सब पता कs कs राखने रहथि जे कोन कोन ठाम घुमय वाला छैक।

बोमडिला बड छोट जगह छलैक आ ओहि ठाम बाबुजी के ऑफिस(CPWD) केर लोक सब के छोरि किछु प्रशानक लोक आ केंद्रीय विद्यालय के किछु शिक्षक सब सेहो रहैत छलथि। माँ सब के किछु लोक के घर एनाई गेनाइ छलैन्ह हमरा अयला सs सांझ मे बराबरि कियो नहि कियो भेंट करय के लेल आबैत छलथि या नहि तs हमरा सब के लs कs माँ, बाबुजी भेंट कराबय लेल जायत छलथि।

बोमडिलाक मोसमक एकटा विशेषता देखय के लेल भेंटल। ओहि ठाम जोर सs पानी नहि परैत छलs मुदा भरि दिन झिसी होइत रहैत छलैक आ बीच बीच मे थोरे थोरे समय के लेल रोउद निकलैत रहैत छलैक। बाबुजी के ऑफिस केर एक गोटे भेंट करय लेल आयल छलथि आ हुनका सब के पानि के चलते जेबा मे देरी भs गेल छलैन्ह। हुनका सब के गेलाक बाद माँ जल्दी जल्दी सतमन(नौकर) सs खेनाई के व्यवस्था करवाबय मे लागि गेलिह। पूरा बोमडिला के लोक के पनबिजली (hydroelectricity) द्वारा बिजली भेटति छलैक आ राति के १२ बजे के बाद सs बत्ती नहि रहैत रहैक। माँ के प्रयास रहैत छलैन्ह जे १० बजे तक रतुका भोजन भs जाय, मुदा आजु किछु देरी भs गेल छलैक। माँ भोजनक व्यवस्था मे लागल छलिह। हम आ बौआ बिछाओन मे घुसि कs अपन गप्प करैत छलहुँ, बाकी चारु भाई बहिन सब खेलाइत रहथि आ खूब हल्ला करैत छलथि। बाबुजी अपन ऑफिसक काज करैत छलाह। अचानक बुझायल जेना कियो केबार खट खटा रहल छथि। सोनी बिन्नी बाहर वाला घर मे खेलाइत छलिह केबारक आवाज सुनी दुनु गोटे केबार खोलय लेल दौड़ गेलिह। केबार खोलैत के सँग ओहि ठाम सs ठाकुर जी ठाकुर जी करैत भागि कs भीतर आबि गेलिह। हिनक नाम सुनैत देरी माँ बाबुजी सब बाहर वाला घर दिस आबि जाय गेलथि।

हिनका अयला सs माँ आ सतमन के आओर काज बढि गेलैक। ओ सब जल्दी जल्दी आओर किछु किछु खेनाई मे बनाबय लगलथि। चाह पिलाक बाद माँ हिनका कहलथिन "इ जल्दी स तैयार भs जाओथ थाकल हेताह, भोजनक बाद गप्प करिहैथ"। कोहुना भोजन बिजली जाय सs पहिने भs गेलैक आ सब कियो सुतय लेल चलि गेलथि।

बौआ हम आ इ बैसि कs गप्प करैत छलहुँ। इ अपन यात्राक वर्णन करैत कहलाह "आइ तs हम बचि गेलहुँ। चारद्वार पहुँचि पता केलहुँ तs लोक सब सs पता चलल आब बोमडिला के लेल एकहि टा बस छैक जे बेसी राति मे पहुँचायत। दिन वाला बस के लेल चाराद्वर मे राति भरि रहय परत इ सोचि चलि देलहुं। एहेन खतरनाक आ भयावह सड़क पर बस ड्राईवर तेनाक चला कs आनलक अछि जे हमर तs प्राण उपरे छल। बोमडिला आबि कs सेहो नीचा मे दुकान लग छोरि देलक। ओहि ठाम एकटा लोक नजरि नहि आबैत छल। संयोग सs एक गोटे भेंट गेलाह जे बाबुजी के ऑफिस के छलाह। ओ हमरा झरना लग पहुँचा कs गेलाह। झरना के बाद ऊपर चढि पहुँच तs गेलहुँ घर तक, मुदा होयत छल एहि राति मे ग़लत घरक केबार नहि खट खटा दियैक। पहिने घर लग आबि किछु काल ठाढ़ भs कs भीतरक गप्प सुनबाक प्रयास कयलहुँ। हल्ला सs बुझि गेलहुँ यैह घर हेबाक चाहीं मुदा मोन आगु पाछु होयत छल केबार खट खटाबी कि नहि कि अचानक मैथिलि मे बाजय के आबाज आयल आ तुंरत हम केबार खट खटा देलहुं"। हिनकर गप्प सुनि बौआ खूब हँसलाह आ कहलाह "बिना खबरि केने अहाँ बोमडिला आयब तs अहिना होयत नञ"। राति बड भs गेल छलैक हम सब उठि सुतय लेल आबि गेलहुँ।

हम हिनका सs कहलियैन्ह अहाँ तs कालिदास भs गेलहुँ। इ हमरा दिस देखि हँसैत बजलाह "कि करितौंह अचानक अहाँ सs भेंट करबाक मोन भs गेल आ बिना किछु सोचनहि चलि देलहुं। राति मे मोन भेल आ भोरे तैयार भs हम निकलि गेलहुँ। हम स्टेशन के लेल निकलति रही ओहि समय मे हमरा बाबुजी के चिट्ठी भेंटल जाहि मे परमिट भेजने रहथि। परमिट के एतेक महत्व छैक हमरा से नहि बुझल छलs। ओ तs संजोगे सs हमरा परमिट भेंट गेल नहि तs बड दिक्कत होइत। टिकट से, स्टेशन पर आबि कs लेलहुँ ओहो संयोगे सs भेंटल"।



Tuesday, May 5, 2009

एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी(दसम कड़ी)

हम माँ के सँग आय अरुणाचल जा रहल छी। माँ आयल तs रहथि हमर द्विरागमन करबाक लेल मुदा हमर सास ससुर नहि मानलथि। काका के बदली राँची सs कहियो भs सकैत छलैन्ह। इ सोचि हिनकर इच्छा आ जोर छलैन्ह जे द्विरागमन भs जायत तs हमरो नाम मुजफ्फरपुर में लिखवा दितथि आ हम ओहि ठाम पढितहुं। माँ सब के सेहो चिंता नहि रहितियैन्ह आ हिनको नीक रहितियैन्ह। बाबुजी के चिट्ठी लिखि कs एहि लेल इ मना लेने रहथि। जहिया सs हमर मोन ख़राब भेल छल तहिया सs इ लगभग सब मास एक बेर राँची आबि जायत छलाह। मुदा हमर सास एकही बेर कहि देलथिन "आय धरि हमरा सब ओहिठाम पहिल साल में द्विरागमन नहि भेल अछि, आ नहि धारति अछि"। अंत मे जखैन्ह हमर सास ससुर तैयार नहि भेलथि तs माँ हमरा कहलथि "चलु अहाँ अरुणाचल गेलो नहि छी, घूमि कs चलि आयब। जओं एहि बीच मे काका के बदली भs गेलैन्ह तs फेर सोचल जायत जे की कायल जाय"। हमर कॉलेज गरमी के छुट्टी लेल बंद छलैक।

दू दिन पहिनहि हमर विवाहक पहिल वर्षगाँठ छलs आ आय हम अरुणाचल जा रहल छी। हमर मोन इ सोचि कs उदास छलs कि ओतेक दूर जा रहल छी। फेर कतेक दिन पर हिनका सs भेंट होयत से नहि जानि। हमरा एको रत्ती माँ के सँग जयबाक खुशी नहि छलs। हमर चेहरा देखि कs कियो कहि सकैत छलथि जे हमर मोन बहुत दुखी अछि। हिनको मोन उदास छलैन्ह आ चुप चाप हमरे लग ठाढ़ छलथि। हम हिनक मोनक गप्प सेहो बुझि रहल छलियैन्ह मुदा की करी से नहि बुझय में आबि रहल छलs। हम सब वेटिंग रूम मे ट्रेनक प्रतीक्षा मे छलहुँ जाहि केर अयबा मे अखैन्ह बहुत देरी छलैक। हम बेर बेर देखाबय चाहि रहल छलियैक जे हमर आंखि मे किछु परि गेल अछि आ हम अपन रुमाल सs निकालय के प्रयास कs रहल छी, मुदा सत्यता किछु आओर छलैक। इ हमर मोनक गप्प बुझि गेलाह आ माँ के कहलथि "अखैन्ह तs ट्रेन आबय मे देरी छैक हम सब चाह पीबि कs थोरेक काल में अबैत छी"। इ कहि आ बौआ के बुझा हमरा चलय लेल कहलथि। जहिना हम सब बिदा भेलहुँ कि हिनकर मित्र धनेश जी, चलि आबैत छलाह। हुनका देखि हम सब रुकि गेलहुँ। जखैन्ह ओ माँ कs गोर लागि लेलथि तs हुनको सँग लs आगू बढ़ि गेलहुँ।

माँ के लेल चाय इ वेटिंग रूम में पठा देलथि। हम दुनु गोटे आ धनेश जी रेलवे केर जलपानगृह में बैसि कs चाय पिबय लगलहुं। धनेश जी हिनकर अभिन्न मित्र छलथि आ दुनु गोटे एकहि कॉलेज मे सेहो पढैत छलाह। विवाहक बाद ओ पहिल बेर हमरा सs भेंट करय के लेल आयल छलाह। हम ओहिना बेसी नहि बजैत छलहुँ दोसर आय होयत छल जे बाजब तs पता नहि कना नहि जाय। इ हमर मोनक गप्प बुझि गेलाह आ हुनक बेसी प्रश्नक जवाब दs रहल छलथि। किछु किछु तs ओहि मे हमरा हंसेबाक लेल आ ध्यान दोसर दिस करबाक लेल सेहो छलैक।

धनेश जी आ इ गप्प कs रहल छलथि, हम बीच बीच मे माथ तs डोला रहल छलहुँ मुदा हमर ध्यान कतहु आओर छल। हमर मोन एकदम बेचैन लागि रहल छल आ बेर बेर हम घड़ी देखि रहल छलहुँ। राँची में रहैत छलहुँ तs कम सs कम मास में एक बेर इ आबि जायत छलाह। चिट्ठी से सब दिन अबैत छलs । अरुणाचल जा तs रहल छलहुँ इ सोचि कs जे घूमि कs चलि आयब मुदा काका के बदली लs कs चिंता होयत छलs । राँची में रही तs जखैन्ह मोन होयत छलैन्ह आबि जायत छलाह अरुणाचल एक तs दूर छलैक दोसर ओहि ठाम जेबाक लेल परमिट बनाबय परैत छैक। हमर की किस्मत अछि नहि जानि जहिया हमरा माँ सँग रहबाक मोन होयत छलs, हम माँ सs अलग रहलहुं। आब हिनका सँग रहबा मे नीक लागैत छलs आ रहबाक मोन होयत छलs तs आब हिनको सs एतेक दूर जा रहल छलहुँ, इ सोचि कs हमर मोन दुखी छलs । तथापि धनेश जी सोझा मे छलथि तs मुँह पर हँसी अनबाक प्रयास करैत छलहुँ। अचानक हिनकर बोली कान मे आयल "आब समय भs गेल छैक चलु माँ के चिंता होयत हेतैन्ह", इ सुनतहि हम सब उठि कs चलि देलहुं।

हम सब जखैन्ह पहुँलहुं तs माँ के ठीके हमरा सब कs आबे मे देरी देखि चिंता होयत छलैन्ह। देखैत देरी बजलीह "अखैन्ह तक कुली सब नहि आयल अछि, आब ट्रेन आबय वाला छैक"। एतबा माँ कहिते छलिह की दुनु कुली आबि गेलैक।

हम सब ट्रेन में बैसि गेलहुँ, सामान सब जगह पर रखवेलाक बाद इहो हमरा सब लग बैसि गेलाह। सोनी बिन्नी दुनु गोटे एक एक टा खिड़की वाला सीट लs कs बैसि गेलीह, बेचारी अन्नू आ छोटू के कात में बैसा देने रहथि। माँ आ बौआ अपना हिसाबे सामान सब ठीक करबा में लागल छलथि। इ एक टक हमरे दिस देखैत छलाह। बुझि परैत छ्लैन्ह जेना आब कहताह अहाँ नहि जाऊ। हम अहाँक बिना नहि रहि सकैत छी। हम लाचार दृष्टि सs हुनका दिस देखि रहल छलहुँ आ मोने मोन भs रहल छलs कियो हमरा कहि दितैथ अहाँ के आब नहि जयबाक अछि। मुदा से नहि भेलैक आ अचानक धनेश जी खिड़की लग आबि कs कहलाह "यौ आब नीचा आबि जाऊ गाड़ी के सिग्नल भs गेल छैक"। एतबा सुनतहि इ हरबरा क उठि गेलाह आ कहलाह "पहुँचैत देरी चिट्ठी अवश्य लिखि देब।" इ कही माँ के गोर लागि उतरि गेलाह। हम घुसकि कs बिन्नी लग बैसि गेलहुँ आ फेर हिनका दिस लाचार भs देखय लागलियैन्ह। अचानक बुझायल जेना हमर किछु एहि ठाम छुटि रहल अछि ।

ट्रेन धीरे धीरे स्टेशन सs आगू बढ़ि रहल छलैक, मुदा हमर दुनु गोटे के नजरि एक दोसर पर छलs । हम सब एक दोसराके देखि रहल छलहुँ। धीरे धीरे दूरी बढ़ल जा रहल छलs, जखैन्ह आँखि सs ओझल भs गेलाह तs हम फेर अपन जगह पर आबि कs बैसि गेलहुँ। बौआ, सोनी बिन्नी अन्नू आ छोटू सब खुश छलथि। माँ अपन खाना वाला पेटार खोलि सब के ओहि में सs निकालि कs खेबाक वस्तु सब के देबय लागलीह।

गाड़ी सिलिगुरी पहुँचि गेल तs माँ हमरा आ बौआ के स्टेशन दिस देखा कs कहलिह "अहाँ सब के तs याद नहि होयत, एहि ठाम तक हम सब ट्रेन सs आबि, ओकर बाद गाड़ी सs सिक्किम जायत छलहुँ"। बाबुजी सिक्किम में सेहो तीन बरख रहल छलथि।

करीब चौबीस घंटा सs हमर सबहक ट्रेन न्यू बोगाई गाँव स्टेशन सs आगू आबि, एकटा छोट सन स्टेशन पर रुकि गेलैक। एतेक छोट स्टेशन की एहि ठाम किछु खेबा पिबाक सेहो नहि भेटैत छलैक। आगू कोनो ट्रेनक दुर्घटना भs गेल छलैक जाहि चलते सब ट्रेन एहि ठाम आबि कs रुकल रहैक। ओहि ठाम तेहेन स्थिति भs गेलैक जे बाद मे स्टेशन पर पानि सेहो खतम भs गेलैक। माँ के आदति छलैन्ह दूरक यात्रा करबाक आ ओ अपना सँग खेबा पिबाक ततेक नहि सामन रखने रहथि जे हमरा सब के ओहि में कष्ट नहि भेल, मुदा सब गोटे परेशान भs गेलहुँ। एक तs एहिना अरुणाचल जेबा में तीन दिन लागैत छलैक, ताहि पर चौबीस घंटा एक ठाम रुकलाक चलते आओर सब परेशान भs जाय गेलौन्ह।

ट्रेन चारद्वार जहिना पहुचलैक हमरा सब केर जान में जान आयल। बाबुजी स्टेशन पर ठाढ़ छलथि। करीब तीस घंटा देरी सs हमर सबहक ट्रेन पहुँचल छलैक। स्टेशन सs सीधा हम सब गेस्ट हाउस पहुँच गेलहुँ, ओहि ठाम हमरा सब के राति भरि रहबाक छल।

हम सब तैयार भs आ जलखई करला कs बाद बोमडिला (अरुणाचल) के लेल सरकारी जीप सs बिदा भs गेलहुँ। बाबुजी हमरा बतेलाह अरुणाचल में भारत केर १/३ सेना रहैत छैक। बॉर्डर पर परमिट देखाबय परलैक आ परमिट देखेलाक बाद बाबुजी कहलथि "अहाँ पहिल बेर आयल छी, बौआ तs एक बेर आयल छलथि। अहाँ जीप में हमरा सँग आगू बैसि जाऊ, देखय में बड नीक लागत। हम बाबुजी सँग आगू बैसि गेलहुँ।

ओना तs आसाम सेहो नीक लागल, मुदा अरुणाचल में प्रवेशक सँग बुझायल जेना प्रकृति एकरे कहैत छैक। कश्मीर तs हम नही देखने छलियैक जाहि केर तुलना लोग स्वर्ग सs करैत छैक।अरुणाचल मे प्रवेश करैत घाटिक घुमावदार सड़क आ चढाई आरम्भ भs गेलैक। सड़क सब नीक मुदा पातर देखय मे आयल। कहुना दू गाड़ी जएबाक जगह छलैक। बाबुजी बतेलाह जे सब सड़क सेना के छलैक।

जीप जहिना जहिना आगू बढैत गेलैक,चढाई तहिना तहिना बढ़ल जा रहल छलैक। सोनी बिन्नी सब तs ओहि ठाम माँ बाबुजी लग रहैत छलथि आ कैयेक बेर आयल गेल रहैथ सब गोटे गप्प मे व्यस्त छलिह। हमर ध्यान मात्र प्राकृतिक सुन्दरता देखय मे छल। पहाडी नदी के विषय मे सुनने आ कविता मे पढ़ने रही। मुदा आय साक्षात देखि रहल छलहुँ।जतेक सुनने रही ताहू सs सुंदर छल इ पहाडी नदी। झरना देखय लेल दूर दूर जायत छलहुँ, आ अहि ठाम तs रास्ता मे कैयेक टा झरना भेट रहल छलs।

बाबुजी हमरा सब ठामक नाम आ ओहि जगहक महत्व बताबैत जा रहल छलाह। बाबुजी कहलाह "आब इ जगह ठीक सs देखू, इ छैक तवांग वैली (Tawang Valley)। चीन सँग सन ६२ केर लड़ाई में एकर बड महत्व छैक"। एहि ठाम सs बोमडिला बड लग छैक। ६२ में सब सs बेसी लड़ाई बोमडिला में भेल छलैक। बाम दिस जओं हमर नजरि गेल तs नीचा में नदी बहैत छलैक, ओ देखा कs कहलाह " इ नदी देखैत छी, पहाडी नदी रहितो लड़ाई समय में इ पूरा खून सs लाल भs जाइत छलैक। एहि ठामक लोग सब कहैत छैक जे लड़ाई केर बाद इ नदी सs कतेको लाश निकलल छलैक।


बाबुजी जहिना कहने रहथि बोमडिला लग छैक तहिना किछुयैक दूरी गेलाक बाद घर सब नजरि आबय लागल। एकटा झरना आयल आ बाबुजी कहलाह लिय बोमडिला पहुँचि गेलहुँ। जीप झरना सs किछुए आगू आबि कs रूकि गेलैक।

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