ओना तs जमशेदपुर में १९८१ सs श्री लल्लन प्रसाद ठाकुर केर नाटक आ सांस्कृतिक गतिविधि शुरू भs गेल छलैन्ह मुदा मैथिली केर सेवा आ हुनका अपना संतुष्टि भेंटलैन्ह १९८३ में, जहिया ओ अपन लिखल पहिल मैथिली नाटक केर मंचन केलाह, मुदा ओहियो में किछु त्रुटि हुनका अपना बुझेलैन्ह।
मिथिलाक्षरक स्थापनाक बाद पहिल नाटक छलैक "मिस्टर निलो काका" जाहि केर पहिल मंचन जमशेदपुर में भेलैक आ दोसर मंचन "अन्तराष्ट्रीय नाट्य समारोह" पटना में। "मिस्टर निलो काका" क s मंचन केर बाद प्रतिवर्ष मैथिली भाषा भाषी के एकटा नाटक देबाक आ मंचन करबाक लेल प्रतिबद्ध श्री ठाकुर जी प्रतिवर्ष एकटा नाटक केर रचना करैत रहलाह आ ओकर मंचन होइत रहलैक। एहि बीच बिना कोनो अनुभव के एकटा मैथिली विडियो फ़िल्म सेहो बनौलाह। जमशेदपुर में पहिल फिल्मोत्सव श्री ठाकुर जी केर देन छैन्ह। प्रकाश झा जी केर सँग हुनक सिनेमा में काज केलाक बाद प्रकाश झा फिल्मोत्सव जमशेदपुर में भेल छलैक जाहि केर पूरा व्यवस्था श्री ठाकुर जी अपनहि कएने छलाह। त्रिदिवसीय नाट्य समारोहक केर इच्छा पहिल नाट्य समारोह सs छलैन्ह, ओ जमशेदपुर में भेलैक आ खूब नीक जकां संपन्न भेलैक।
प्रकाश झा जी के सात कड़ी वाला धारावाहिक "विद्रोह" केर शूटिंग से मदनपुर( बेतिया) केर जंगल जंगल आ बम्बई में भेलैक आ ओ शूटिंग के बीच में श्री ठाकुर जी केर मोन किछु ख़राब भs गेल छलैन्ह जाहि चलते ओ धारावाहिक केर शूटिंग जल्दी खतम होइते चलि अयलाह। हमरा से पता नहि कियैक जहिया सs श्री ठाकुर जी शूटिंग के लेल गेलाह मोन बहुत घबराइत छल। फोनक बेसी सुविधा नहि छलैक तथापि हुनका खबरि भेंट गेलैन्ह आ अपन शूटिंग खतम करि कs आपस आबि गेलाह।
बेतिया सs अयलाक बाद पता नहि कियाक आ की भेलैंह, बीच बीच में बुखार लागि जायत छलैन्ह, डॉक्टर सs देखा दबाई होइत छलैन्ह तs फेर दू तीन दिन में ठीक भs जाइत छलाह। एहिना करीब चारि पॉँच मास तक चलैत रहलैक बीच बीच में हम कहियैन्ह नीक सs डॉक्टर के देखा लिय, डॉक्टर सँs देखाबथि तs मुदा पूरा पूरा चेक अप नहि होय। हमरा ओहिना मोन अछि अचानक एक दिन बुखार भेलैंह आ एकहि बेर खूब तेज़ बुखार भs गेलैन्ह। एहि बेर हम सोचि लेने रहियैन्ह जे पूरा नीक सय जांच करवाबय के छैन्ह मुदा ओ अपनहि बजलाह एहि बेर हॉस्पिटल में भरती भs जाइत छी आ नीक सँ पूरा जाँच करवा लैत छी। राति में ततेक बेसी बुखार भs गेलैन्ह जे ओहि समय भरती कराबय परि गेलैन्ह।
भोर में हम हॉस्पिटल गेलहुँ तs डॉक्टर बी.एन.झा राउंड(round) में छलाह पुछला पर कहलाह "बुखार नहि अछि साँझ तक छोरि देबैन्ह आ नहि तs काल्हि घर जा सकैत छथि" हम हुनका भोजन करवेलाक के बाद घर आबि गेलहुँ। सांझ में बच्चा सब के लs कs अयलहुं। पता चलल जे डॉक्टर साहेब केर आदेश छलैन्ह जे बिना सबटा जाँच कएने घर नहिं जाय देताह। हम सब राति में घर आबि गेलहुँ। दोसर दिन किछु एहेन भेलैक जे हम भोर में हॉस्पिटल नहिं जा सकलहुँ । बड़का बेटा पुत्तु आ पंडित जी सँ चाय नाश्ता पठा देलियैन्ह आ हम एकहि बेर दुपहर में हुनकर कपडा लs कs गेलहुँ जे आइ तs घर आपिस आबिये जयताह।
हॉस्पिटल मात्र हुनकर कपडा आ चाय लs कs गेल रही। पहुँचलहुँ तs हिनका उदास देखलियैन्ह, पुछला पर कहलाह जे अइयो डॉक्टर साहब नहि छोरताह। हम सुनतहि डॉक्टर बी. एन. झा लग गेलहुँ, कहलाह जे "हम आब ठाकुर जी के किछु आओर दिन रखबैन्ह हुनका खुनक बहुत कमी छैन्ह "। इ सुनतहि हमरा चिन्ता भेल मुदा करितहुँ की राति में फेर सs खाना लs कs आबय परल आ राति भरि हम सुति नहिं पयलहुँ ।
दोसर दिन श्री ठाकुर जी केर सबटा खून इत्यादि केर जाँच शुरू भेलैक । जाँच केलाक बाद डॉक्टर बी. एन. झा ओहि जांचक सबटा रिपोर्ट देखि खुश नहि छलाह हुनका किछु आशंका छलैन्ह, की से तs नहि कहलाह, कहलाह "bone marraw" करवाबय परतैन्ह।
Wednesday, August 5, 2009
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