Sunday, May 31, 2009

एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी (तेरहम कड़ी )

ओना तs जहिया सs हम सब जमशेदपुर अयलहुँ आ बाबुजी के बुझल भेलैंह जे काका के मोन ख़राब रहैत छैन्ह बराबरि राँची जायत छलाह आ काका के डॉक्टर लग अपनहि लs कs जायत छलाह, मुदा एहि बेरक गप्प किछु आओर छैक। पिछला बेर डॉक्टर एन.के. झा एक मास बाद आबय लेल कहने छलथिन आ कहने छलथिन जओं एक मास मे ओ दवाई काज नहि केलकैन्ह तs काका के जमशेदपुर वा बम्बई लs जाय परतैन्ह। काका के कोन बिमारी छैन्ह से राँची के डॉक्टर के पता नहि चलैत छलैक। एहि बेर बाबुजी सोचि के जायत छलाह जे जओं डॉक्टर साहेब कहलथि तs काका के जमशेदपुर लs अनताह। जमशेदपुर मे बाबुजी के एतबहि दिन मे डॉक्टर सब सs जान पहचान भs गेल छलैन्ह आ काका के विषय मे डॉक्टर सब सs गप्प सेहो कयने रहथिन।

बाबुजी राँची सs लौट कs अयलाह तs हमर हिम्मत हुनका लग जयबाक नहि होयत छल। बाबुजी सs की पुछियैन्ह, की कहताह इ सोचि रहल छलहुँ कि माँ अयलीह आ अपनहि कहलीह जे काका सब दू तीन दिन बाद आबि रहल छथि, आब एहि ठाम हुनकर इलाज होयतैन्ह। राँची मे डॉक्टर सब के नहि बुझा रहल छैक जे हुनका कोन बिमारी छैन्ह। इ सुनतहि हमरा मोन मे तरह तरह के आशंका होमय लागल।

काका, मौसी, मधु, पपू, निक्की आ सोनू सभ गोटे आबि गेलथि। काका के देखि हम हुनका देखितहि रहि गेलहुँ। पहिल दिन जमशेदपुर हमरा सब सs भेंट करय लेल आयल छलथि ताहु सs बेसी कमजोर लागैत छलाह। हमरा किछु नहि फुराइत छलs जे हम की बाजियैन्ह। काका हमर मोनक गप्प अपनहि बुझि गेलाह आ कहलाह "पेट मे बड दर्द होयत अछि आब एहि ठाम भैया लग आबि गेलहुँ आब ठीक भs जायब"।

भोरे बाबुजी काका के लs कs टाटा मेन हॉस्पिटल गेलाह। करीब १२ बजे बाबुजी असगरे अयलाह आ माँ सs कहलथिन जे" जयनंदन के check-up करय के लेल भर्ती कs लेलकैन्ह अछि। बेर बेर अनाइ गेनाइ मे दिक्कत होइतैक ताहि चलते भरती करा देलियैन्ह। सब जाँचक बादे डॉक्टर बतायत जे हुनका की छैन्ह आ कोन दबाई चलतैन्ह"। साँझ मे माँ आ मौसी सेहो बाबुजी के सँग काका सs भेट करय लेल गेलिह। मधु पप्पु सब घर पर हमरा सब सँग छलथि।

काका के एक सप्ताह सs बेसी भs गेल छैन्ह हॉस्पिटल मे मुदा अखैन्ह धरि जाँच चलिए रहल छैन्ह। बिमारी कोन छैन्ह सेहो नहि बुझल छैक। बाबुजी के आजु एक गोटे सs कहैत सुनलियैन्ह जे आब एहि सप्ताह मे सब टा जाँच खतम भs जयतैक, तकर बाद हुनकर इलाज आरम्भ होयतैन्ह।

मौसी सब दिन अपना सँग सोनू के लs जायत छलिह। आय माँ आ मौसी सँग मधु पप्पु सेहो काका सs भेंट करय लेल गेल छथि। हमर मोन सेहो छलs जेबाक मुदा एक संगे बेसी लोग गेनाइ ठीक नहि, हम सोचलहुँ दोसर दिन जायब। सब चलि गेलथि तs मोन से नहि लागति छलs। रहि रहि कs बाहर जायत छलहुँ देखय लेल जे माँ सब अयलीह कि नहि।

माँ सब हॉस्पिटल सs लौट कs अयलीह तs माँ भनसा घर दिस चलि गेलिह, मौसी अपन बच्चा सब मे लागि गेलिह मुदा बाबुजी एकदम उदास बुझेलाह। हम चाय लs कs बाबुजी लग गेलहुँ आ हुनका चाय दs धीरे सs पुछलियैन्ह "काका के मोन केहेन छैन्ह"। किछु समय तक तs बाबुजी किछु नहि बजलाह मुदा फेर कहलाह "मोन ठीक नहि छैन्ह, आब सब रिपोर्ट आबि गेलैक अछि । जयनन्दन के कैंसर छैन्ह, सेहो अन्तिम स्टेज मे। अहाँ के मौसी के नहि बुझल छैन्ह आ नहि हुनका किछु कहबैन्ह । आय सs दवाई सेहो शुरू भs गेल छैक"। बाबुजी के हम किछु जवाब नहि दs सकलियैन्ह आ ओहि ठाम सs चलि गेलहुँ।

माँ सs हम पहिनहि कहि देने रहियैन्ह जे आजु हम काका के देखय लेल अवश्य जायब। हॉस्पिटल पहुँचि काका लग गेलहुँ तs देखि बुझायल जेना काका आओर कमजोर भs गेल छथि। अस्पताल सs अयलाक बाद हमरा किछु नहि फुराइत छल जे की करी। राति मे हमरा किछु नहि फुरायल तs हिनका चिट्ठी लिखय लेल बैसि गेलहुँ आ काका के स्वास्थ्य केर विषय मे सबटा लिखि देलियैन्ह।

आय इहो पहुँचि गेलाह। बाबा के नहि कहल गेल छैन्ह , दादी के किछु आओर कही बजा लेल गेल छैन्ह। काका, काकी, पीसा, पीसी सब तs पहिनहि सs आबि गेल छथि। काका के मोन दिन दिन ख़राब भेल जा रहल छैन्ह इ देखि परिवारक सभ गोटे चिंतित छथि। अस्पताल सs अयलाक बाद मौसी आ दादी मन्दिर गेल छथि। बाबुजी आ बाकी परिवारक सभ गोटे बैसि कs गप्प क रहल छथि। हम बाहर मे बैसल छी कि अचानक बाबुजी के कहैत सुनलियैन्ह "टिस्को (TISCO) के प्रबंध निर्देशक केर पत्नी के सेहो जयनन्दन वाला बिमारी छैन्ह आ ओ अमेरिका सs इलाज करा कs आयल छथि। हुनको अमेरिका के डॉक्टर जवाब दs देने छैन्ह, आब ओहो एहि ठाम अस्पताल मे छथि आ एके डॉक्टर दुनु गोटे के इलाज कs रहल छैन्ह। दवाई सेहो एके परि रहल छैन्ह। आब तs मात्र भगवान पर भरोसा अछि"। इ सुनलाक बाद मोन आओर छोट भs गेल सोचय लगलहुँ पता नहि आब काका ठीक होयताह की नहि।

परिवारक सभ कियो जमशेदपुर मे छथि मुदा बाबा आ बौआ के किछु नहि बुझल छैन्ह। बौआ के मेट्रिक परीक्षा छैन्ह इ सोचि हुनका किछु नहि बतायल गेल छैन्ह। बिचार भेलैक जे इ मुजफ्फरपुर जयबे करताह परीक्षा समय मे बौआ लग चलि जयताह।

भोर मे मामा सभ अयलाह आ इ मुजफ्फरपुर चलि गेलाह। हमरा कहैत गेलाह जे मेट्रिक के परीक्षा तक ओम्हरे रहताह कारण सभ गोटे जमशेदपुर मे छथिन्ह जओं बौआ के किछु काज भेलैंह तs एको गोटे के लग मे रहबाक चाहि।

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