Tuesday, May 5, 2009

एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी(दसम कड़ी)

हम माँ के सँग आय अरुणाचल जा रहल छी। माँ आयल तs रहथि हमर द्विरागमन करबाक लेल मुदा हमर सास ससुर नहि मानलथि। काका के बदली राँची सs कहियो भs सकैत छलैन्ह। इ सोचि हिनकर इच्छा आ जोर छलैन्ह जे द्विरागमन भs जायत तs हमरो नाम मुजफ्फरपुर में लिखवा दितथि आ हम ओहि ठाम पढितहुं। माँ सब के सेहो चिंता नहि रहितियैन्ह आ हिनको नीक रहितियैन्ह। बाबुजी के चिट्ठी लिखि कs एहि लेल इ मना लेने रहथि। जहिया सs हमर मोन ख़राब भेल छल तहिया सs इ लगभग सब मास एक बेर राँची आबि जायत छलाह। मुदा हमर सास एकही बेर कहि देलथिन "आय धरि हमरा सब ओहिठाम पहिल साल में द्विरागमन नहि भेल अछि, आ नहि धारति अछि"। अंत मे जखैन्ह हमर सास ससुर तैयार नहि भेलथि तs माँ हमरा कहलथि "चलु अहाँ अरुणाचल गेलो नहि छी, घूमि कs चलि आयब। जओं एहि बीच मे काका के बदली भs गेलैन्ह तs फेर सोचल जायत जे की कायल जाय"। हमर कॉलेज गरमी के छुट्टी लेल बंद छलैक।

दू दिन पहिनहि हमर विवाहक पहिल वर्षगाँठ छलs आ आय हम अरुणाचल जा रहल छी। हमर मोन इ सोचि कs उदास छलs कि ओतेक दूर जा रहल छी। फेर कतेक दिन पर हिनका सs भेंट होयत से नहि जानि। हमरा एको रत्ती माँ के सँग जयबाक खुशी नहि छलs। हमर चेहरा देखि कs कियो कहि सकैत छलथि जे हमर मोन बहुत दुखी अछि। हिनको मोन उदास छलैन्ह आ चुप चाप हमरे लग ठाढ़ छलथि। हम हिनक मोनक गप्प सेहो बुझि रहल छलियैन्ह मुदा की करी से नहि बुझय में आबि रहल छलs। हम सब वेटिंग रूम मे ट्रेनक प्रतीक्षा मे छलहुँ जाहि केर अयबा मे अखैन्ह बहुत देरी छलैक। हम बेर बेर देखाबय चाहि रहल छलियैक जे हमर आंखि मे किछु परि गेल अछि आ हम अपन रुमाल सs निकालय के प्रयास कs रहल छी, मुदा सत्यता किछु आओर छलैक। इ हमर मोनक गप्प बुझि गेलाह आ माँ के कहलथि "अखैन्ह तs ट्रेन आबय मे देरी छैक हम सब चाह पीबि कs थोरेक काल में अबैत छी"। इ कहि आ बौआ के बुझा हमरा चलय लेल कहलथि। जहिना हम सब बिदा भेलहुँ कि हिनकर मित्र धनेश जी, चलि आबैत छलाह। हुनका देखि हम सब रुकि गेलहुँ। जखैन्ह ओ माँ कs गोर लागि लेलथि तs हुनको सँग लs आगू बढ़ि गेलहुँ।

माँ के लेल चाय इ वेटिंग रूम में पठा देलथि। हम दुनु गोटे आ धनेश जी रेलवे केर जलपानगृह में बैसि कs चाय पिबय लगलहुं। धनेश जी हिनकर अभिन्न मित्र छलथि आ दुनु गोटे एकहि कॉलेज मे सेहो पढैत छलाह। विवाहक बाद ओ पहिल बेर हमरा सs भेंट करय के लेल आयल छलाह। हम ओहिना बेसी नहि बजैत छलहुँ दोसर आय होयत छल जे बाजब तs पता नहि कना नहि जाय। इ हमर मोनक गप्प बुझि गेलाह आ हुनक बेसी प्रश्नक जवाब दs रहल छलथि। किछु किछु तs ओहि मे हमरा हंसेबाक लेल आ ध्यान दोसर दिस करबाक लेल सेहो छलैक।

धनेश जी आ इ गप्प कs रहल छलथि, हम बीच बीच मे माथ तs डोला रहल छलहुँ मुदा हमर ध्यान कतहु आओर छल। हमर मोन एकदम बेचैन लागि रहल छल आ बेर बेर हम घड़ी देखि रहल छलहुँ। राँची में रहैत छलहुँ तs कम सs कम मास में एक बेर इ आबि जायत छलाह। चिट्ठी से सब दिन अबैत छलs । अरुणाचल जा तs रहल छलहुँ इ सोचि कs जे घूमि कs चलि आयब मुदा काका के बदली लs कs चिंता होयत छलs । राँची में रही तs जखैन्ह मोन होयत छलैन्ह आबि जायत छलाह अरुणाचल एक तs दूर छलैक दोसर ओहि ठाम जेबाक लेल परमिट बनाबय परैत छैक। हमर की किस्मत अछि नहि जानि जहिया हमरा माँ सँग रहबाक मोन होयत छलs, हम माँ सs अलग रहलहुं। आब हिनका सँग रहबा मे नीक लागैत छलs आ रहबाक मोन होयत छलs तs आब हिनको सs एतेक दूर जा रहल छलहुँ, इ सोचि कs हमर मोन दुखी छलs । तथापि धनेश जी सोझा मे छलथि तs मुँह पर हँसी अनबाक प्रयास करैत छलहुँ। अचानक हिनकर बोली कान मे आयल "आब समय भs गेल छैक चलु माँ के चिंता होयत हेतैन्ह", इ सुनतहि हम सब उठि कs चलि देलहुं।

हम सब जखैन्ह पहुँलहुं तs माँ के ठीके हमरा सब कs आबे मे देरी देखि चिंता होयत छलैन्ह। देखैत देरी बजलीह "अखैन्ह तक कुली सब नहि आयल अछि, आब ट्रेन आबय वाला छैक"। एतबा माँ कहिते छलिह की दुनु कुली आबि गेलैक।

हम सब ट्रेन में बैसि गेलहुँ, सामान सब जगह पर रखवेलाक बाद इहो हमरा सब लग बैसि गेलाह। सोनी बिन्नी दुनु गोटे एक एक टा खिड़की वाला सीट लs कs बैसि गेलीह, बेचारी अन्नू आ छोटू के कात में बैसा देने रहथि। माँ आ बौआ अपना हिसाबे सामान सब ठीक करबा में लागल छलथि। इ एक टक हमरे दिस देखैत छलाह। बुझि परैत छ्लैन्ह जेना आब कहताह अहाँ नहि जाऊ। हम अहाँक बिना नहि रहि सकैत छी। हम लाचार दृष्टि सs हुनका दिस देखि रहल छलहुँ आ मोने मोन भs रहल छलs कियो हमरा कहि दितैथ अहाँ के आब नहि जयबाक अछि। मुदा से नहि भेलैक आ अचानक धनेश जी खिड़की लग आबि कs कहलाह "यौ आब नीचा आबि जाऊ गाड़ी के सिग्नल भs गेल छैक"। एतबा सुनतहि इ हरबरा क उठि गेलाह आ कहलाह "पहुँचैत देरी चिट्ठी अवश्य लिखि देब।" इ कही माँ के गोर लागि उतरि गेलाह। हम घुसकि कs बिन्नी लग बैसि गेलहुँ आ फेर हिनका दिस लाचार भs देखय लागलियैन्ह। अचानक बुझायल जेना हमर किछु एहि ठाम छुटि रहल अछि ।

ट्रेन धीरे धीरे स्टेशन सs आगू बढ़ि रहल छलैक, मुदा हमर दुनु गोटे के नजरि एक दोसर पर छलs । हम सब एक दोसराके देखि रहल छलहुँ। धीरे धीरे दूरी बढ़ल जा रहल छलs, जखैन्ह आँखि सs ओझल भs गेलाह तs हम फेर अपन जगह पर आबि कs बैसि गेलहुँ। बौआ, सोनी बिन्नी अन्नू आ छोटू सब खुश छलथि। माँ अपन खाना वाला पेटार खोलि सब के ओहि में सs निकालि कs खेबाक वस्तु सब के देबय लागलीह।

गाड़ी सिलिगुरी पहुँचि गेल तs माँ हमरा आ बौआ के स्टेशन दिस देखा कs कहलिह "अहाँ सब के तs याद नहि होयत, एहि ठाम तक हम सब ट्रेन सs आबि, ओकर बाद गाड़ी सs सिक्किम जायत छलहुँ"। बाबुजी सिक्किम में सेहो तीन बरख रहल छलथि।

करीब चौबीस घंटा सs हमर सबहक ट्रेन न्यू बोगाई गाँव स्टेशन सs आगू आबि, एकटा छोट सन स्टेशन पर रुकि गेलैक। एतेक छोट स्टेशन की एहि ठाम किछु खेबा पिबाक सेहो नहि भेटैत छलैक। आगू कोनो ट्रेनक दुर्घटना भs गेल छलैक जाहि चलते सब ट्रेन एहि ठाम आबि कs रुकल रहैक। ओहि ठाम तेहेन स्थिति भs गेलैक जे बाद मे स्टेशन पर पानि सेहो खतम भs गेलैक। माँ के आदति छलैन्ह दूरक यात्रा करबाक आ ओ अपना सँग खेबा पिबाक ततेक नहि सामन रखने रहथि जे हमरा सब के ओहि में कष्ट नहि भेल, मुदा सब गोटे परेशान भs गेलहुँ। एक तs एहिना अरुणाचल जेबा में तीन दिन लागैत छलैक, ताहि पर चौबीस घंटा एक ठाम रुकलाक चलते आओर सब परेशान भs जाय गेलौन्ह।

ट्रेन चारद्वार जहिना पहुचलैक हमरा सब केर जान में जान आयल। बाबुजी स्टेशन पर ठाढ़ छलथि। करीब तीस घंटा देरी सs हमर सबहक ट्रेन पहुँचल छलैक। स्टेशन सs सीधा हम सब गेस्ट हाउस पहुँच गेलहुँ, ओहि ठाम हमरा सब के राति भरि रहबाक छल।

हम सब तैयार भs आ जलखई करला कs बाद बोमडिला (अरुणाचल) के लेल सरकारी जीप सs बिदा भs गेलहुँ। बाबुजी हमरा बतेलाह अरुणाचल में भारत केर १/३ सेना रहैत छैक। बॉर्डर पर परमिट देखाबय परलैक आ परमिट देखेलाक बाद बाबुजी कहलथि "अहाँ पहिल बेर आयल छी, बौआ तs एक बेर आयल छलथि। अहाँ जीप में हमरा सँग आगू बैसि जाऊ, देखय में बड नीक लागत। हम बाबुजी सँग आगू बैसि गेलहुँ।

ओना तs आसाम सेहो नीक लागल, मुदा अरुणाचल में प्रवेशक सँग बुझायल जेना प्रकृति एकरे कहैत छैक। कश्मीर तs हम नही देखने छलियैक जाहि केर तुलना लोग स्वर्ग सs करैत छैक।अरुणाचल मे प्रवेश करैत घाटिक घुमावदार सड़क आ चढाई आरम्भ भs गेलैक। सड़क सब नीक मुदा पातर देखय मे आयल। कहुना दू गाड़ी जएबाक जगह छलैक। बाबुजी बतेलाह जे सब सड़क सेना के छलैक।

जीप जहिना जहिना आगू बढैत गेलैक,चढाई तहिना तहिना बढ़ल जा रहल छलैक। सोनी बिन्नी सब तs ओहि ठाम माँ बाबुजी लग रहैत छलथि आ कैयेक बेर आयल गेल रहैथ सब गोटे गप्प मे व्यस्त छलिह। हमर ध्यान मात्र प्राकृतिक सुन्दरता देखय मे छल। पहाडी नदी के विषय मे सुनने आ कविता मे पढ़ने रही। मुदा आय साक्षात देखि रहल छलहुँ।जतेक सुनने रही ताहू सs सुंदर छल इ पहाडी नदी। झरना देखय लेल दूर दूर जायत छलहुँ, आ अहि ठाम तs रास्ता मे कैयेक टा झरना भेट रहल छलs।

बाबुजी हमरा सब ठामक नाम आ ओहि जगहक महत्व बताबैत जा रहल छलाह। बाबुजी कहलाह "आब इ जगह ठीक सs देखू, इ छैक तवांग वैली (Tawang Valley)। चीन सँग सन ६२ केर लड़ाई में एकर बड महत्व छैक"। एहि ठाम सs बोमडिला बड लग छैक। ६२ में सब सs बेसी लड़ाई बोमडिला में भेल छलैक। बाम दिस जओं हमर नजरि गेल तs नीचा में नदी बहैत छलैक, ओ देखा कs कहलाह " इ नदी देखैत छी, पहाडी नदी रहितो लड़ाई समय में इ पूरा खून सs लाल भs जाइत छलैक। एहि ठामक लोग सब कहैत छैक जे लड़ाई केर बाद इ नदी सs कतेको लाश निकलल छलैक।


बाबुजी जहिना कहने रहथि बोमडिला लग छैक तहिना किछुयैक दूरी गेलाक बाद घर सब नजरि आबय लागल। एकटा झरना आयल आ बाबुजी कहलाह लिय बोमडिला पहुँचि गेलहुँ। जीप झरना सs किछुए आगू आबि कs रूकि गेलैक।

7 comments:

श्यामल सुमन said...

जिनगी में किछु क्षण एहेन याद रहय अछि शेष।
शब्द भाव संयोग सँ रचना बनल बिशेष।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Unknown said...

is bhaavpoorna sansmarana k liye sadhuvaad............badhai, halanki main bhasha anter k karan 100% toh nahi samajh saka lekin phir bhi aatmik star par achha laga
-albela khatri

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan

abhivyakti said...

आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है

गार्गी

रचना गौड़ ’भारती’ said...

बे्हतरीन रचना के लिये बधाई। यदि शब्द न होते तो एह्सास भी न होता। मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है। लिखते रहें हमारी शुभकामनाएं साथ है।

Sanjay Grover said...

हुज़ूर आपका भी .....एहतिराम करता चलूं .....
इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही, लेकिन
अब आ गया हूं तो दो दिन क़याम करता चलूं
-(बकौल मूल शायर)

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