Sunday, March 22, 2009

एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी (प्रथम कड़ी)

सन् १९९६ क गप्प थिक, एक बेर हमारा एक पत्रिका में किछु लिखय लेल कहल गेल छल। हम बस एतबे लिखी सकलौं "हम की लिखी हमर तs लेखनिये हेरा गेल"। मुदा आई बुझना जाइत अछि जे नहि, हमरा एकटा कर्तव्यक निर्वाहन करबाक अछि। 

हम सदिखन अपना के हुनकर शिष्या सहचरी आ नहि जानि कि सब बुझैत रही। हुनक एकोटा रचना एहेन नहि होइत छलैक जाहि केर पूरा होमs सs पहिने हम कैएक बेर नहि सुनैत रही। हम तs हुनक एक-एक रचना के ततेक बेर सुनैत रही जे करीब करीब कंठस्त भs जाइत छल। एक एक संवाद आई धरि ओहिना हमर कान में गूंजैत रहैत अछि। हम तs हुनक सबस पैघ आलोचक, सबस पैघ प्रशंसक रही। अद्भुद कलाकार छलाह, एक कलाकार में एक संग एतेक रास गुण भैरसक नहि होइत छैक। लेखक, निर्देशक, अभिनेता,गीतकार, संगीतकार, सब गुण विद्यमान छलैन्ह। हमारा कि बुझल जे नीक लोकक संग बेसी दिनक नहि होइत छैक। भगवनोके नीक लोकक ओतबे काज होइत छैन्ह जतबा कि मनुष्य के। हम तs भगवान् सs कहियो किछु नहि मांगलियैंह, बस हुनक संग सदा भेंटय. यैह टा कामना छल। मुदा एक टा बात निश्चित अछि, जओं भगवान छैथ आ कहियो भेंटलैथ तs अवश्य पुछ्बैन्ह जे ओ हमारा कोन गल्तिक सजा देलैथ, हम तs कहियो ककरो ख़राब नै चाहलिये।


एतेक कम दिनक संग परंच ओ जे हमरा पर विश्वास केलैंह आ हमारा स्नेह देलैंह शायद हमरा सात जन्मों में नहि भेंट सकैत छल। एखनो जं हम हुनक फोटो के सामने ठाढ़ भs जाइत छी तs बुझाइत अछि जे ओ कहि रहल छथि हम सदिखैन अहाँक संग छी।

2 comments:

Anonymous said...

नि:संदेह आहंक संगे छैथ,
हुंकारे आशीष और मंगलकामना छैन्ह, जे आहाँ केर सपरिवार सभ गोटे खुशहाल छी,
आहंकेर हुनका प्रति समर्पण और विश्वासे छल ओ विभीन रूप में स्थापित्य भेलाह,
सराहनीय प्रयास,
सब टा लिखी दियौ

गौतम राजऋषि said...

आय स शुरु केलौं या दीदी ई अद्‍भुत संस्मरण के पढ़ब....

हुनका के नै जनै छै....आहंक संगे सर्वदा स छथिन...

चिट्ठाजगत IndiBlogger - The Indian Blogger Community